ताजा खबर
पुणे में IT प्रोफेशनल ने दोस्त पर लगाया दुष्कर्म का झूठा आरोप, पुलिस जांच में खुली सच्चाई   ||    छांगुर बाबा का नया खेल: धर्मांतरण के नाम पर पुणे में करोड़ों की संपत्तियां, कोर्ट क्लर्क की पत्नी को...   ||    BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी क्यों? सामने आई 3 बड़ी वजह, चर्चा में है ये 4 बड़े नाम   ||    उत्तराखंड में लैंडस्लाइड से सड़कें ब्लॉक, हिमाचल में बादल फटने से बाढ़; बारिश से किस राज्य में कैसे ...   ||    राफेल की इमेज खराब करने के लिए चीन का प्रोपेगैंडा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद फैलाई थी अफवाह   ||    Amarnath Yatra: ‘ऐसा लग रहा है मानो स्वर्ग आ गए…’, यात्री बोले- कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता   ||    ‘ग्लोबल साउथ दोहरे मानदंडों का शिकार, भारत मानवता के हित में’, BRICS सम्मेलन में बोले प्रधानमंत्री म...   ||    दुनिया के 7 अजूबे कौन से हैं? जिनका 7 जुलाई को ही हुआ था ऐलान, ताजमहल ने पाया था 7वां स्थान   ||    LIVE आज की ताजा खबर, 7 July 2025 Today Breaking News: 18 जुलाई को बिहार आएंगे PM मोदी, मोतिहारी में ...   ||    ट्रंप की नेतन्याहू से मुलाकात क्यों जरूरी है? जंग के बाद पहली बार किन मुद्दों पर होगी चर्चा   ||   

जुलाई में बाढ़ का खतरा… IMD ने जारी की चेतावनी, पढ़ें आज के मौसम का अपडेट

Photo Source :

Posted On:Tuesday, July 1, 2025

देशभर में मानसून की दस्तक के साथ ही मौसम ने अलग-अलग रूप दिखाने शुरू कर दिए हैं। कई राज्यों में तेज बारिश हो रही है तो कुछ क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी ने मौसम को सुहावना बना दिया है। खासकर उत्तर भारत और पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश के कारण स्थिति चिंताजनक हो गई है। वहीं, मौसम विभाग (IMD) ने जुलाई के पूरे महीने के लिए देश के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना जताई है। इससे एक तरफ किसानों के लिए राहत की खबर है, तो दूसरी ओर लैंडस्लाइड और बाढ़ जैसी आपदाओं की आशंका भी बढ़ गई है।


पहाड़ी राज्यों के लिए खतरे की घंटी

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के चलते लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ गई हैं। हिमाचल के मंडी जिले में ब्यास नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कई इलाकों में सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और आवाजाही बाधित हो गई है। मंडी, कांगड़ा और चंबा जैसे जिलों में लैंडस्लाइड की वजह से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है।

मंडी निवासी सुशील कुमार ने बताया, “लगातार हो रही बारिश के कारण कई इलाकों में मलबा गिरा है और छोटे पुलों को नुकसान हुआ है। लोग अब घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं।” मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश में ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है और लोगों से अपील की है कि अनावश्यक यात्रा न करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।


जुलाई में मानसून की चाल और संभावित खतरे

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार जुलाई में देशभर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। विशेष रूप से उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और पूर्व-मध्य भारत के अन्य हिस्सों में भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। इन राज्यों में बाढ़ की आशंका को देखते हुए सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।

IMD ने चेताया है कि जलाशयों और बांधों के जलस्तर की लगातार निगरानी की जानी चाहिए ताकि बारिश के समय जलप्रवाह को नियंत्रित किया जा सके और किसी भी आपदा की स्थिति से बचा जा सके।


दिल्ली-NCR में भी मानसून का असर

राजधानी दिल्ली और एनसीआर (नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद) में भी मानसून सक्रिय हो चुका है। 30 जून से 6 जुलाई तक बारिश की गतिविधियां लगातार देखने को मिलेंगी। हल्की और मध्यम बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिली है। मौसम में ठंडक घुल जाने से खासकर बच्चों और बुजुर्गों को काफी सुकून मिल रहा है।

हालांकि, जलभराव और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं एक बार फिर सामने आ रही हैं। नोएडा निवासी भावना शर्मा बताती हैं, “हर बार की तरह पहली ही बारिश में सड़कों पर पानी भर गया, और ऑफिस पहुंचने में काफी मुश्किल हुई।”


किसे मिला ऑरेंज अलर्ट?

आज के लिए IMD ने निम्नलिखित राज्यों और क्षेत्रों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है:

  • असम, नागालैंड, मणिपुर: यहां तेज हवाओं के साथ भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।

  • उत्तर प्रदेश (दक्षिणी), मध्य प्रदेश (पूर्वोत्तर), छत्तीसगढ़ (उत्तर), गुजरात (खेरा, वडोदरा, छोटा उदेपुर आदि): मध्यम से भारी बारिश की संभावना।

  • हिमाचल प्रदेश: मंडी और आसपास के क्षेत्रों में ऑरेंज के साथ रेड अलर्ट भी जारी किया गया है।


खेती और मानसून का रिश्ता

जुलाई का महीना कृषि के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मानसून के चार महीने — जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में से जुलाई में औसतन 28 सेमी बारिश होती है, जो कुल 87 सेमी एलपीए (Long Period Average) का लगभग एक तिहाई है। इस समय धान, मक्का, सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों की बुवाई होती है और बारिश की मात्रा ही इन फसलों की गुणवत्ता और उपज को तय करती है।

इस लिहाज से मानसून का सामान्य से बेहतर प्रदर्शन किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन बाढ़ और जलभराव जैसी स्थितियां उनके लिए नुकसानदेह भी बन सकती हैं।


पुणे और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. punevocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.